आज के समयानुसार देखा जाए तो लोग एक दूसरे के दुश्मन बन जाते है या फिर ऐसा भी कह सकते है की परिस्तिथियां इंसान को एक दूसरे का दुश्मन बना देतीं है | जिस तरह से प्रत्येक व्यक्ति का व्यवहार मायने रखता है उसी तरह से हर व्यक्ति का चरित्र भी मायने रखता है चाणक्य ने अपनी नीति मैं बताया की कुछ लोग लिबास मैं पराये होतें है उन लोगो को पहचानने मैं हम कई बार गलती कर देते है और वो लोग हमारे लिए शस्त्रु के समान होतें है | आज हम आपको ऐसे ही लोगो के बारे मैं बताने जा रहे है जो कहने को तो अपने होतें है मगर किसी शत्रु से काम नहीं होतें है |
घर की सुन्दर स्त्री :-
चाणक्य के अनुसार घर की स्त्री चाहे वो हो बेटी हो, बहन हो, या पत्नी हो यदि वो सुन्दर है रूपवान है और उसका पिता, भाई या पति यदि कमजोर है तो वो अपने अपने पिता, भाई या पति के लिए एक तरह से शत्रु के समान है क्योंकि वो उसकी दुश्मनो से रक्षा नहीं कर पाएंगे और उनको आये दिन मुसीबतो का सामना करना पड़ सकता है |
मुर्ख पुत्र :-
अगर किसी व्यक्ति का पुत्र मुर्ख है तो वो उसके लिए एक तरह से शत्रु के समान है क्योंकि ऐसी संतान अपने माता पिता को जीवन भर कष्ट देती रहती है |
मतभेद करने वाली स्त्री :-
अगर कोई स्त्री, माँ अपनी सन्तानो के बीच मतभेद करती है तो वह एक तरह से शत्रु के समान होती है क्योंकि ऐसी स्त्री अपने परिवार वालो का सही तरह से पालन पोषण नहीं करती है और यदि उस स्त्री का किसी अन्य पुरुष के साथ सम्बन्ध है तो वो स्त्री अपने परिवार, बच्चो और पति के लिए शत्रु के सामान है |
कर्ज लेने वाला व्यक्ति :-
यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए कर्ज लेकर गुजरा करता है तो ऐसा व्यक्ति अपने बच्चो के लिए शत्रु के समान होता है | ऐसे व्यक्ति कर्ज को चुकाने मैं असमर्थ होते है तो उसके बच्चो को बहुत सारी मुसीबतो का सामना करना पड़ता है |